मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 22 मई: हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र भेजकर हरियाणा सरकार से 5000 करोड़ का राहत पैकेज मांग रहे और फीस न आने के कारण अध्यापकों को सैलरी ना देने का बहाना कर रहे स्कूलों का सीएजी के द्वारा ऑडिट कराने की मांग की है। मंच ने लिखा है कि स्कूलों के पास करोड़ों रुपए सरप्लस व रिजर्व फंड के रूप में मौजूद है।
मंच ने मुख्यमंत्री को बताया है कि स्कूल प्रबंधकों ने नए दाखिलों में एडवांस में ली गई फीस से ही करोड़ों रुपए जमा कर लिए हैं। इसके अलावा दाखिला फार्म 500 से 1200 रुपए में बेचकर और 6 महीने पहले किए गए दाखिले में एडवांस के रूप में अभिभावकों से 30 हजार से 1,10,000 लेकर बैंक ब्याज के रूप में ही लाखों रुपए कमा लिए हैं।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि मंच ने आरटीआई लगाकर फरीदाबाद के 25 स्कूलों की जानकारी मांगी थी जिनमें से अभी सिर्फ 5 स्कूलों की ही जानकारी मिली है। जिसके अनुसार ग्रैंड कोलंबस 16 ने 400 दाखिला फार्म 1200 रुपए प्रति फार्म बेचकर 4 लाख 80 हजार व डीएवी-14 ने 500 फार्म 750 के हिसाब से बेचकर 3.3 लाख रुपए कमाए हैं। जबकि दाखिला प्रक्रिया पूरी ऑनलाइन हुई है। इसी प्रकार अभिभावकों से एडवांस के रूप में 30 हजार से 1 लाख 10 हजार तक ली गई फीस पर अक्टूबर 2019 से जून 2020 तक साधारण बैंक ब्याज के रूप में डीपीएस-19 ने 18 लाख, डीपीएस-81 ने 16 लाख, ग्रैंड कोलंबस ने 3 लाख और डीएवी-14 ने 22 लाख रुपए कमा लिए हैं। जबकि प्री-नर्सरी, नर्सरी, एलकेजी कक्षा की पढ़ाई शुरू नहीं हुई है। इन छोटे बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई भी नहीं हो सकती है। जैसे हालात चल रहे हैं उनकी पढ़ाई जुलाई से पहले संभव नहीं है। जबकि स्कूल वालों ने नए दाखिले के छात्रों से अप्रैल मई-जून की फीस वसूल ली है। ऐसा ही सभी स्कूल प्रबंधक कर रहे हैं।
शिक्षा विभाग पंचकूला के एक सर्कुलर में कहा गया है कि सर्विस नहीं तो फीस नहीं। तब स्कूल प्रबंधकों द्वारा बिना पढ़ाई फीस लेना वह भी 9 महीने पहले पूरी तरह से गैर-कानूनी है। शिक्षा नियमावली में भी नियम है कि स्कूल प्रबंधक दाखिला देकर एडवांस में फीस नहीं ले सकते हैं।
मंच ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया है कि सभी स्कूल प्रबंधकों ने शिक्षा विभाग के निर्देशों के विपरीत अभिभावकों से डरा-धमकाकर अप्रैल, मई की बढ़ाई गई ट्यूशन फीस व अन्य फंडों में फीस वसूल ली है। उसके बावजूद वे अपने अध्यापकों को मार्च, अप्रैल की तनख्वाह नहीं दे रहे हैं। मंच ने कई बार इसकी शिकायत चेयरमैन एफएफआरसी फरीदाबाद से की है लेकिन दोषी स्कूलों के खिलाफ कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
कैलाश शर्मा ने यह भी बताया कि मंच ने आरटीआई द्वारा कई स्कूलों के फार्म-6 व बैलेंस शीट, ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त की है जिसमें काफी घपला नजर आया है जिन कई फंडों में अभिभावकों से फीस ली गई है उनको फार्म-6 में दिखाया ही नहीं गया है। चेयरमैन एफएफआरसी द्वारा कराई गई ऑडिट रिपोर्ट में भी ऑडिटर ने कई कमियों को दर्शाया है। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार स्कूल वालों के पास काफी मात्रा में सरप्लस व रिजर्व फंड है।
मंच ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सभी प्राइवेट स्कूलों की सीएजी से ऑडिट कराई जाए जिससे पता चल सके कि स्कूल प्रबंधक लाभ में है या घाटे में। क्योंकि इस कार्य के लिए मंडल कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित की गई फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी पूरी तरह से विफल हुई है।

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