अदालत ने फिलहाल कल तक के लिए अनिल जिंदल और उनके गुर्गे विनोद गर्ग उर्फ मामा, नानक चंद तायल, बिशन बंसल तथा देवेन्द्र अधाना को नीमका जेल भेजा
आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 5 अप्रैल: दिन वीरवार, तारीख 5 अप्रैल, समय दोपहर करीब 4.15 बजे। सैक्टर-12 स्थित न्यायिक परिसर की दूसरी मंजिल पर बनी माननीय न्यायाधीश पल्लवी ओझा की कोर्ट का नजारा कुछ देखने लायक था। कोर्ट रूम सहित पूरा फ्लोर पुलिस छावनी बना हुआ था। बना भी क्यूं ना हो, आज वहां पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए शहर की एक ऐसी नामचीन विवादास्पद शख्सियत को उसके गुर्गों सहित पेश करना था जिसने फरीदाबाद, पलवल, मेवात आदि जिलों की भोली-भाली मासूम जनता के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई को हसीन सपने दिखाकर हड़प लिया था। इस शख्सियत का नाम था डॉ०अनिल जिंदल  जोकि एक समय में देश-प्रदेश में अपना नाम करने वाली बहुचर्चित बिल्डर कंपनी एसआरएस ग्रुप का चेयरमैन है।
जैसे ही वकीलों व आरोपियों के समर्थकों व विरोधियों से खचाखच भरे कोर्ट रूम करीब 4.15 बजे उक्त पांचों आरोपियों को पेश किया गया वैसे ही अदालती कार्यवाही शुरू हो गई। करीब 10-15 मिनट में संबंधित पक्षों के दस्तावेज पेश करने के बाद दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई जोकि अदालत का समय समाप्त हो जाने के बाद भी 5.05 बजे तक चली यानि करीब 35 मिनट तक।
इस बहस में सबसे बड़ा मुद्दा यह रहा कि पुलिस ने जिस कोर्ट में उक्त आरोपियों को जिन धाराओं व मामले में पेश किया वह कोर्ट उसके लिए सक्षम नहीं थी।
एक तरफ जहां मुवक्किल पक्ष के वकीलों का कोर्ट को यह तर्क था कि आरोपियों ने लोगों के कई हजार करोड़ की रकम हड़पी है, इन्होंने एक ही खाते के, जोकि बंद हो चुका है करीब 14 हजार चैक लोगों यानि इंवेस्टर्स को बांटे कर उनके साथ धोखाधड़ी की हैं इसलिए आरोपियों के पासपोर्ट जब्त कर उन्हें पुलिस द्वारा मांगे गए 10 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा जाए ताकि किसी तरह उनकी रकम उन्हें मिल जाए और आरोपी देश से बाहर कहीं भाग ना जाएं। उनका यह भी आरोप था कि आरोपियों ने लोगों को लूटने के लिए करीब 325 कंपनियां बना रखी हैं तथा इन्हें कई बैंकों का करीब 7,000 हजार करोड़ रूपये देना भी है जिसके लिए ये डिफाल्टर हो चुके हैं।
वहीं दूसरी तरफ आरोपियों के एक वकील शेखर आनंद गुप्ता का कोर्ट में यह तर्क था कि जिस गोपाल शर्मा की शिकायत पर आईपीसी की धारा 420, 406, 120बी व 3 ऑफ दा हरियाणा प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपोजिटर्स इन एफई एक्ट 2013 के तहत जो मुकदमा नंबर-111 थाना सैक्टर-31 पुलिस ने चार मार्च, 2018 को दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उसकी सुनवाई के लिए माननीय न्यायाधीश कीे कोर्ट अधिकृत ही नहीं है। यह कोर्ट सैक्सन 41ए के तहत कम्पलाईंड ही नहीं हैं क्योंकि आरोपियों पर जो मामला बनाया गया है उसकी सुनवाई हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई स्पेशल डेजिनेटिड कोर्ट में ही हो सकती है जोकि फरीदाबाद में है ही नहीं।
बस सारा पेच आकर यहीं फंस गया और कोर्ट आरोपियों के रिमांड या फिर उनको जमानत को लेकर करीब 40 मिनट तक कोई फैसला नहीं ले पाई। अंत में कोर्ट ने चंद कानूनी अड़चनों के चलते फिलहाल आरोपियों को एक दिन के ज्यूडिशियल रिमांड यानि नीमका जेल भेजने के लिए कहते हुए शाम 5.45 बजे यह आर्डर किया कि कल शुक्रवार को इस संबंध में फैसला लिया जाएगा कि आरोपियों को कहां किस कोर्ट में पेश करना है। इसके बाद भारी पुलिस सुरक्षा के साथ आरोपियों को पुलिस की बस में बैठाकर नीमका जेल ले जाया गया।
अब लोगों को कल यानि शुक्रवार का इंतजार है जहां यह देखा जाएगा कि आरोपियों को उक्त केस की सुनवाई के लिए किस कोर्ट में पेश किया जा सकता है जहां कि उनको पुलिस रिमांड दिए जाने या नहीं दिए जाने का फैसला होगा।
काबिलेगौर रहे कि लोगों से धोखाधड़ी करने के आरोप मे पुलिस ने एसआरएस ग्रुप के चेयरमैन अनिल जिंदल सहित उसकी कंपनी के डॉयरेक्टर रूपी गुर्गे विनोद गर्ग उर्फ मामा, नानक चंद तायल, बिशन बंसल तथा देवेन्द्र अधाना को बीती रात दिल्ली के महिपालपुर स्थित होटल आमरा से गिरफ्तार किया था। वो बात अलग है कि पुलिस उनकी गिरफ्तारी आज सुबह की दिखा रही है जबकि पुलिस ने उपरोक्त आरोपियों में से चार को उक्त होटल से बीती रात करीब 10 बजे गिरफ्तार किया था और देवेन्द्र अधाना को अनिल जिंदल से फोन करवा उसे बुलवाकर गिरफ्तार किया था। यहीं नहीं रात को ही बी.के. अस्पताल में करीब 12 बजे इनका मेडिकल भी करवाया था। इसके
गौरतलब रहे कि इनके खिलाफ सैक्टर-31 में जहां पिछले दिनों एक साथ 20 मुकदमें दर्ज किए थे वहीं जिला पुलिस कमिश्ररेट के अलग-अलग थानों में भी इनके खिलाफ मुकदमें दर्ज है। इनमें से एसआरएस ग्रुप के सीएमडी अनिल जिंदल व उनके कुछ सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी का एक मामला थाना एनआईटी में 8 मई, 2017 को आईपीसी की धारा 406, 420 व 120बी के तहत एफआईआर न.-179 के तहत सैक्टर-21बी निवासी प्रवीण गुप्ता की शिकायत पर दर्ज हुआ था।

 

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