किसानों के हित में आगे आया जाट समाज।
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट।
फरीदाबाद,02 दिसंबर:
पिछले कई दिनों से सर्दी में कृषि कानून के विरोध में दिल्ली के बार्डरों पर बैठे हजारों किसानों के दर्द को केंद्र सरकार सुने और किसानों की समस्या का शीघ्र सकारात्मक हल निकालने का प्रयास करे। यह मांग आज जाट समाज फरीदाबाद के अध्यक्ष जेपीएस सांगवान ने समाज की बैठक में उठाई।
श्री सांगवान ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून को समझाने में सरकार और किसानों के बीच कम्यूनिकेशन गेप रहा है, जिससे किसानों में कानून के प्रति रोष है कि वे इस कानून को अपना हितेषी न समझकर भविष्य में इससे होने वाले दुष्परिणामों से डर रहे हैं। वहीं सरकार बता रही है कि यह कृषि कानून किसानों के हित में है और उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए क्षेत्रिय मंडी ही नहीं, एक राज्य से दूसरे राज्य तक फसल बेचने का खुला बाजार प्रदान किया है। इन कानूनों में क्या बदलाव किया जाए ताकि किसान और सरकार के बीच चल रहे इस मनमुटाव से छुटकारा पाया जाए। सरकार को किसानों के बीच बैठकर बातचीत करनी चाहिए और गलतफहमी को दूर किया जाना चाहिए।
जाट समाज के महासचिव एचएस मलिक ने कहा कि धरती का सीना चीर कर किसान देश के लिए अनाज उत्पादन करता है और साल में दो या तीन बार फसल के दाम लेता है। उसके साथ यदि अन्याय होता है यह लोकतांत्रिक देश में उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आज किसानों के अधिकतर बेटे फौज में जाकर देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, वहीं किसान अनाज उत्पादन कर लोगों के पेट भर रहे हैं। यदि यूं कहा जाए किसान इस देश की रीढ़ की हड्डी है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि सरकार को अपना विशाल हृदय किसानों के बीच रखना चाहिए और खुले मन व राजनीति से ऊपर हटकर किसानों की आवाज को सुना व समझा जाना चाहिए। यदि इसमें कमियां है तो उन्हें दूर कर किसानों को विश्वास में लेना चाहिए तभी भारत सरकार का सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास का नारा सार्थक होगा।
बैठक में सबरजीत सिंह फौजदार, टीएस दलाल, रणजीत दहिया, शिवराम तेवतिया, हवा सिंह ढिल्लो, रमेश चौधरी, कमल चोधरी, जितेंद्र चौधरी, रामरतन नर्वत सहित अनेक जाट समाज के सदस्य उपस्थित थे

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