ज्वाईंट कमिश्रर की चेतावनी, सील तोड़ी तो होगी FIR दर्ज
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 8 फरवरी:
यदि किसी शोरूम मालिक ने नगर निगम द्वारा लगाई गई सील तोडऩे की कोशिश की या निगम को दी गई अंडरटेकिंग को दो दिन में पूरा नहीं किया तो उनके खिलाफ FIR दर्ज कराकर उन पर कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाएगी। यह कहना है नगर निगम फरीदाबाद में NIT जोन के संयुक्त आयुक्त प्रशांत अटकान का मैट्रो प्लस से विशेष बातचीत में।
ध्यान रहे कि नगर निगम फरीदाबाद के तोडफ़ोड़ दस्ते द्वारा आज तिकोना पार्क के सामने NH-2D ब्लॉक में ज्वाईंट कमिश्रर प्रशांत अटकान की अगुवाई में सीलिंग और तोडफ़ोड़ की कार्यवाही को अंजाम दिया गया था। वो बात अलग है कि इस सीलिंग और तोडफ़ोड़ की कार्यवाही में निगम द्वारा भेदभाव की नीति अपनाई गई। निगम दस्ते ने जहां अंडरटेकिंग के नाम पर Jindal Car Accessories आदि कई शोरूमों को तोडफ़ोड़ और सीलिंग से अलग रखा वहीं कई शोरूम मालिकों के छज्जे, कीमती लाईट बोर्ड और रैम्प पर जेसीबी का पीला पंजा चलवाकर उनका लाखों का नुकसान कर दिया। इस कार्यवाही में सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों का हुआ जो मौके पर मौजूद नहीं थे। मौके पर मैट्रो प्लस टीम को अंडरटेकिंग के नाम पर कई निगम अधिकारी अपना खेल खेलते नजर आए। सीलिंग और तोडफ़ोड़ की इस कार्यवाही के दौरान नगर निगम के एसडीओ जीतराम, जेई/बिल्डिंग इंस्पेक्टर सुमेर सिंह और लीगल सैल से एडवोकेट सतीश आचार्य विशेष रूप से पुलिस बल के साथ मौजूद थे।
बता दें कि एनआईटी तिकोना पार्क कार मार्किट के सामने एनएच-2 के रिहायशी प्लॉट न. 2डी/9-10 BP में बने Yours Bath Gallery, Aakarshan आदि पर MCF की सीलिंग और तोडफ़ोड़ की उक्त कार्यवाही अमल में लाई गई थी। ध्यान रहे कि किसी समय रिहायशी क्षेत्र का उक्त रकबा न्यूकैम प्लास्टिक के मालिकों का हुआ करता था जिन्होंने उक्त प्लॉटों को टुकड़ों में बांटकर बेच दिया था जिस पर आज बिना किसी चेंज ऑफ लेंड यूज यानि सीएलयू और सब-डिवीजन के चंद भ्रष्ट्र निगम अधिकारियों की सेटिंग से बड़े-बड़े शोरूम खुले हुए हैं। बताते हैं कि उपरोक्त 2डी-9-10 में कुल चार प्लॉट हैं जिनमें से तीन प्लॉटों में शोरूम मालिकों ने तो निगम में सीएलयू की फीस जमा करवा रखी है लेकिन उनके सीएलयू आज तक नहीं हुए।
आरोप है कि जब यहां उक्त प्लॉटों पर बहुमंजिला कॉमर्शियल बिल्डिंग और शोरूम बन रहे थे, उस समय तो नगर निगम में तोडफ़ोड़ विभाग के तत्कालीन संबंधित निगम अधिकारियों ने मोटी-मोटी रकम लेकर इनको बनने दिया और अब हाईकोर्ट, एनजीटी और निगमायुक्त के नाम पर उनकी इन ईमारतों पर जेसीबी का पीला पंजा चलवाकर सीलिंग की कार्यवाही की जा रही है। जबकि वास्तव में होना तो ये चाहिए कि जिस समय ये बिल्डिंग बन रही थी उस समय के तोडफ़ोड़ विभाग के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही हो।
ध्यान रहे कि आज से पहले कुछ साल पहले नगर निगम एनआईटी जोन में ज्वाईंट कमिश्रर रही आशिमा सांगवान ने सुबह-सुबह या कहे भोर के समय करीब 4 बजे यहीं कई शोरूमों को सील कर दिया था। उसके बाद उनका उसी दिन ट्रांसफर भी हो गया था। उनके ट्रांसफर के कारण जो भी रहे हों लेकिन उनके ट्रांसफर के बाद इन शोरूम मालिकों ने कथित तौर पर निगम के डी-सील के किसी लिखित आर्डर के बिना ेआशीमा सांगवान द्वारा लगाई गई सीलों को तोड़कर अपने-अपने शोरूमों को खुद ही खोल लिया था। इस संबंध में जब निगम के ज्वॉइंट कमिश्नर प्रशांत अटकान से पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में अनभिज्ञता जाहिर की।
वहीं निगम के ज्वॉइंट कमिश्नर प्रशांत अटकान ने बताया कि उक्त सभी शोरूम/बिल्डिंग बिना किसी सब-डिवीजन और सीएलयू के नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए है जिस पर आज उन्होंने निगमायुक्त के आदेश पर उक्त कार्यवाही को अंजाम दिया। इससे संबंधित मामला भी उच्च न्यायालय में लंबित है। उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना की जा रही है क्योंकि उन्हें हर महीने हाईकोर्ट और मानवाधिकार आयोग में रेगुलर रिपोर्ट जमा करानी होती है। साथ ही उनका यह भी कहना था कि बिल्डिंग मालिकों ने निगम से ना तो कोई नक्शा पास करवाया हुआ है और गैर-कानूनी रूप से यहां सब-डिवीजन कर बहुमंजिला कॉमर्शियल बना रखी हैं।
जब उनसे यह पूछा गया कि निगम अधिकारियों ने कुछेक जगह आधी-अधूरी सीलिंग की कार्यवाही की है तो उन पर कहना था कि जो इमारत सीलिंग से रह गई है, उनको भी वो दोबारा से कार्यवाही कर सील करवा दिया जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ कई शोरूम मालिकों ने निगम अधिकारियों को स्टे की कॉपी तथा नगर निगम में सन् 2011 से जमा कराई सीएलयू फीस की रसीद भी दिखाई लेकिन उनका उनको कोई खास फायदा नहीं हुआ।
अब देखना यह है कि निगम अधिकारी उक्त मामले में क्या कार्यवाही अमल में लाते हैं।

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