मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 30 जुलाई:
पुलिस आयुक्त को 29 जुलाई को एक ई-मेल प्राप्त हुआ, जिसमें एक 8 वर्षीय लड़की तनिष्का ने टीएपी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की। आयुक्त इस ई-मेल को देखकर बहुत खुश हुए और बच्चों को किसी भी तरह की समस्या के लिए मदद करने का आश्वासन दिया।
पुलिस आयुक्त ओपी सिंह ने कहा कि वह जानना चाहती थी कि क्या उसकी उम्र के बच्चे भी टीएपी का हिस्सा हो सकते हैं। जब उसने टीएपी के बारे में अपने माता-पिता से कुछ सवाल किए तो उन्होंने यही सवाल पुलिस आयुक्त से करने को कहा।
तनिष्का लिखती है, उसकी उम्र के छात्रों को भी सहपाठियों या बड़े छात्रों द्वारा परेशान किया जाता है। ऐसे में वे शिक्षक को मामले की सूचना देते हैं। अगर कोई समाधान नहीं होता है, तो वे अपने माता-पिता और प्रिंसिपल को भी सूचित करते हैं। टीएपी की स्थापना के बाद हमें उम्मीद है कि यह उसकी उम्र के बच्चों के लिए भी मददगार होगा।
पुलिस कमिश्रर ओपी सिंह ने कहा कि कभी-कभी बच्चे भी शिक्षकों को मामलों की रिपोर्ट करने से डरते हैं। कई बच्चे अपने माता.पिता को भी सब कुछ नहीं बताते और परेशान रहते हैं।
आगे तनिष्का लिखती हैं कि सर अपनी कम उम्र के कारण वे पुलिस स्टेशन में नहीं जा सकते, इसलिए वे आपको अपनी समस्याओं के बारे में कैसे बता सकते हैं? वे आपके साथ संवाद कैसे कर सकते हैं? अपने स्कूल डीपीएस-19 के प्राथमिक विंग, रवि हाउस के उप-कप्तान होने के नाते क्या वह भी सीधे टीएपी का सदस्य बन सकती है या यह केवल बड़े छात्रों के लिए है?
तनिष्का के माता-पिता पेशे से वकील हैं और उन्होंने वादा किया है कि वे स्वेच्छा से टीएपी की मदद करेंगे।
इस पर पुलिस आयुक्त ने आश्वासन दिया कि हर पुलिस स्टेशन में आउटरीच अधिकारियों को तैनात किया जाएगा जो किशोरों के साथ-साथ तनिष्का की उम्र के वर्ग के बच्चों की भी मदद करेंगे।

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