मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
फरीदाबाद, 20 नवम्बर:
फरीदाबाद में यदि अब कहीं भी कोई बाल विवाह करेगा या करवाएगा तो उस बाल विवाह करने/कराने पर दूल्हा, पंडित, मौल्वी, गुरूद्वारा के ग्रन्थी, गिरजाघर का पादरी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कहना है डीसीपी मुख्यालय डॉ. अर्पित जैन का। बाल विवाह को रोकने के संदर्भ में हाईकोर्ट ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिसको लेकर पुलिस प्रशासन अब इस मामले में सख्त रवैया अपनाएगा।
डीसीपी मुख्यालय डॉ. अर्पित जैन के मुताबिक हाईकोर्ट द्वारा बाल विवाह रोकने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए है कि ज्यादातर मंदिर, मस्जिदद्व गुरूद्वारा व गिरजाघर शादी करवा रहे है। लेकिन उनके द्वारा शादी से संबंधित जन्म प्रमाण पत्र, 10वीं कक्षा की अंक तालिका, आधार कार्ड, मतदाता कार्ड आदि कोई भी रिकॉर्ड नहीं लिए जाते है। बिना प्रमाण पत्र के लड़का एवं लड़की की उम्र का पता नही लग पाता है, जिसके चलते बाल विवाह हो जाता है।
हाईकोर्ट ने अब कहा है कि धारा-9 बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अन्र्तगत जो भी 18 वर्ष से अधिक आयु का वयस्क पुरूष बाल विवाह अनुबंधित करता है तो उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि 2 वर्ष या एक लाख रूपये जुर्माना या फिर दोनों ही हो सकते हैं।
इसी तरह धारा 10 बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अंतर्गत जो कोई भी बाल विवाह करता है, उसका संचालन करता है, निर्देशन करता है या उसका पालन करता है तो उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जो 2 वर्ष या जुर्माने से जो एक लाख रूपये हो सकता है, जब तक वह यह साबित ना कर दे कि उसके पास यह साबित करने का कारण है कि यह एक बाल विवाह नहीं था। दूसरे शब्दों में जो बाल विवाह करता है, करवाता है आदेश देता है वह दण्ड का भागी होगा जैसे दूल्हा, पंडित, मौल्वी गुरूद्वारा के ग्रन्थि, गिरजाघर का पादरी इत्यादि।
बाल विवाह को रोकने के माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए है:-

  1. मंदिर के पुजारी/पंडित, मोल्वी/काजी, गुरूद्वारा का ग्रन्थि और गिरजाघर का पादरी विवाह का एक उचित रजिस्टर बनाएंगे और उसमें विवाह का प्रमाण पत्र काउंटर फाइल रखेगा।
  2. शादी प्रमाण पत्र में लड़के और लड़की की तस्वीर के अलावा दिए गए दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, मतदाता कार्ड, 10वीं कक्षा की अंकतालिका, जन्म प्रमाण आदि का उल्लेख होगा और इस तरह के दस्तावेजों, की प्रतिलिपि काउंटर फाइल में चिपकाएगा जिसका पुजारी/पंडित, मोल्वी/काजी, गुरूद्वारा का ग्रन्थि और गिरजाघर का पादरी द्वारा स्वयं उसका रखरखाव किया जाएगा।
  3. उस व्यक्ति का हलफनामा जो कि नाबालिक दिखता है/हो, दस्तावेज के रूप में नहीं लिया जाएगा। शादी के लिए जरूरी है कि उसमें से किसी के माता पिता का हलफनामा लिया जाए।
  4. सभी पुजारी/पंडित, मोल्वी/काजी, गुरूद्वारा का ग्रन्थि और गिराजाघर का पादरी हर तीन महीने के पश्चात संबंधित थानाध्यक्ष जिसके क्षेत्राधिकार में वह मंदिर मस्जिद, गुरूद्वारा, गिरजाघर स्थित है, को वह रजिस्टर, काउंटर फाइल के साथ पेश करेगा।
  5. यदि किसी थानाध्यक्ष को उसके क्षेत्राधिकार में बाल विवाह की सूचना मिलती है तो वह बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के अन्र्तगत आरोपी के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही करेगा।
    डीसीपी मुख्यालय डॉ. अर्पित जैन ने बताया कि उपरोक्त दिशा-निर्देश माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए हैं जिनकी पालना करना अति आवश्यक है। दिशा-निर्देशों की पालना न करने वालों के खिलाफ फरीदाबाद पुलिस द्वारा कानून के तहत कार्यवाही की जायेगी

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