बी.के. हार्डवेयर रोड़ पर 1जी/51ए में बन रही बहुमंजिला कॉमर्शियल ईमारत गर्ग फोम हाऊस


न्यू तिकोना पार्क मार्किट में शॉप नंबर 17-18 में बन रहा मित्तल फोम हाऊस
  • निगम अधिकारियों से इन ईमारतों की तरफ ना देखने की एवज में 25 से 30 लाख का लेनदेन होने की चर्चा
  • अंडरटेकिंग देने के बावजूद भी बदस्तूर जारी है मित्तल और गर्ग फोम हाऊस में अवैध कॉमर्शियल निर्माण
    मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
    फरीदाबाद, 13 जून:
    अवैध निर्माणों व कब्जों का पर्याय बन चुके बडख़ल विधानसभा क्षेत्र के अर्तंगत एनआईटी फरीदाबाद के एनएच-1 में आजकल अवैध निर्माणों की बाढ़ आई हुई है। आलम यह है कि नगर निगम को अंडरटेकिंग देने के बावजूद भी यहां अवैध निर्माण धड़ल्ले से किए जा रहे हैं। इसका जीता जागता प्रमाण बी.के. हार्डवेयर रोड़ पर 1जी/51ए में बन रही बहुमंजिला कॉमर्शियल ईमारत गर्ग फोम हाऊस तथा इसी रोड़ पर न्यू तिकोना पार्क मार्किट में शॉप नंबर 17-18 में बन रहा मित्तल फोम हाऊस है।
    ध्यान रहे कि निगमायुक्त अनिता यादव के आदेशों पर गत् एक मार्च, 2019 को नगर निगम के तोडफ़ोड़ दस्ते ने एक्सईएन ओमवीर सिंह, एसडीओ विनोद मलिक, जेई सुमेर सिंह के नेतृत्व में 6 स्थानों पर तोडफ़ोड़ की कार्यवाही को अंजाम दिया था। इनमें अवैध रूप से बन रहे गर्ग फोम हाऊस तथा मित्तल फोम हाऊस के निर्माणकर्ताओं ने उस समय नगर निगम को लिखित में अंडरटेकिंग दी थी कि उनके निर्माण को जेसीबी से ना तोड़ा जाए, वो अपना निर्माण स्वयं हटा लेंगे, लेकिन वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस बात को अब करीब ढाई महीने बीतने जा रहे हैंंं लेकिन वहां अवैध निर्माणकर्ताओं का हौंसला इतना बुलंद है कि उन्होंने अपने निर्माण पर से एक भी ईंट हटाने के बावजूद वहां बहुमंजिला कॉमर्शियल ईमारत खड़ी कर ली।
    मजेदार बात जो यह है कि इस दौरान इस अवैध निर्माण को तोडऩे या रोकने के लिए उपरोक्त में से किसी भी निगम अधिकारी ने जहमत नहीं उठाई। जिससे साफ जाहिर होता है कि उक्त अवैध निर्माणकर्ताओं और निगम अधिकारियों के कितनी तगड़ी सैटिंग हुई होगी जिसके चलते मेन रोड़ होने के बावजूद भी उक्त दोनों बहुमंजिला कॉमर्शियल ईमारत गर्ग फोम हाऊस तथा मित्तल फोम हाऊस बिना किसी रोकटोक के लगातार बनते चले जा रहे हैं और उनको रोकने-टोकने वाला कोई नहीं हैं।
    जैसी की बाजार में चर्चा है कि उक्त दोनों बहुमंजिला कॉमर्शियल ईमारतों को सैक्टर-15 में रहने वाला एक सरदार ठेकेदार बना रहा है जिसका निगम अधिकारियों से इन ईमारतों की तरफ ना देखने के लिए 25 से 30 लाख का लेनदेन हुआ है। बताते है कि एक भाजपा नेता के रिस्तेदार इस सरदार ठेकेदार के बारे में कहा जाता है कि सरदार ठेकेदार जिस बिल्डिंग को बनाता है निगम अधिकारियों की हिम्मत नहीं होती कि वो उस ईमारत की तरफ आंख उठाकर भी देख लें, तोडऩा तो दूर की बात है। शायद यही कारण लग रहा है कि नगर निगम को अंडरटेकिंग देने के बावजूद भी यहां अवैध निर्माण धड़ल्ले से आज भी जारी है। वहीं निगमायुक्त का इन अवैध निर्माणों पर कोई कार्यवाही ना कराना भी यह दर्शा रहा है कि हो ना हो, कहीं ना कहीं इन अवैध निर्माणों में निगमायुक्त की मूक सहमति उक्त आरोपों को सच साबित कर रही है।
    गौरतलब रहे है कि नगर निगम क्षेत्र में अवैध निर्माण का कार्य एक बड़े व्यवसाय के रूप में पनप रहा है। जिस वजह से निगम को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों रूपये के राजस्व का नुकसान हो रहा हैं वहीं इस अवैध निर्माण के धंधे को शह देकर निगम अधिकारी अपनी-अपनी तिजोरियां दिन-प्रतिदिन भरने में लगे हुए हैं। निगम क्षेत्र में चंद ऐसे ठेकेदारों का गिरोह सक्रिय है या कहिए बोलबाला है जोकि अवैध निर्माण करने के लिए निगम अधिकारियों से अपनी सैटिंग के चलते प्लॉट मालिक से मुंहमांगे दाम वसूलते है। इन ठेकेदारों की गारंटी होती है कि जिस प्लॉट पर वो निर्माण करेंगे उस पर निगम का तोडफ़ोड़ दस्ता अपनी दृष्टि/नजर नहीं मारेगा।

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