फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन और विजय रामलीला कमेटी मामले में नजर आता नगर निगम का दोहरा चरित्र।
नगर निगम क्यों नहीं कर पा रहा है हाईकोर्ट के आदेशों की पालना?
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
फरीदाबाद, 28 मार्च:
हाईकोर्ट के आदेशों की कैसे अनदेखी की जाती है, ये तो कोई निगम अधिकारियों से पूछे जिन्होंने विजय रामलीला कमेटी के मामले में हाईकोर्ट के आदेशों को भी काफी समय से दरकिनार कर रखा है। नगर निगम कमिश्रर का कार्यभार देख रहे जिला उपायुक्त यशपाल यादव प्रशासन के साथ-साथ नगर निगम में कोई ना कोई ऐसा काम करते रहते हैं जिसके चलते वे अक्सर अपनी स्वच्छ छवि के चलते चर्चा में रहते हैं। वहीं दूसरी तरफ उनके अधीनस्थ निगम अधिकारी कोई ना कोई ऐसा गुल खिला देते है जिससे निगम की छवि ओर धूमिल होती रहती हैं।
यहां हम बात कर रहे हैं विजय रामलीला कमेटी की जिसने NIT की NH-1-B/C Block, मेन मार्किट में बेशकीमती सरकारी जमीन/पार्क पर वर्षो से जहां गैर-कानूनी रूप से हुए कब्जा किया हुआ है, वहीं इस जमीन पर बनी दुकानों से किराए के रूप में लाखों रूपये की वसूली भी कर रही है। लेकिन अधिकारी हैं कि इस मामले में कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं हैं। निगम अधिकारियों की चुप्पी कई तरह के संकेत देती हैं।
काबिलेगौर रहे कि उक्त प्रोपर्टी पर विजय रामलीला कमेटी ने जो तमाम दुकानें बनाई हुई हैं उनका लाखों रूपये का किराया कमेटी द्वारा वसूला जाता है जोकि सरकारी खजाने में आना चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि वो उक्त जगह पर कब्जा लेकर विजय रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों से उस रकम की रिकवरी/वसूली करे जो उन्होंने दुकानदारों से किराए के रूप में और आम जनता से शादी-ब्याहों की पर्ची काटकर की है। ये रकम लाखों/करोड़ों में बनेगी जोकि नगर निगम क्षेत्र के विकास में काम आ सकती है। साथ ही उन लोगों पर मुकदमा भी दर्ज होना चाहिए जो वर्षो से गैर-कानूनी रूप से सरकारी जमीन पर काबिज हो लाखों/करोड़ों रूपये की रकम वसूले जा रहे हैं।
बता दें कि ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में मामला उठने के बाद जहां नगर निगम ने मालवीय वाटिका में गैर-कानूनी रूप से सील तोड़कर खोले गए फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के ऑफिस का सामान बाहर निकाल उसे दोबारा सील करने के बाद अपने कब्जे में लेकर वहां तोडफ़ोड़ विभाग का ऑफिस खोल दिया है, वहीं दूसरी तरफ विजय रामलीला कमेटी द्वारा NIT की NH-1 मेन मार्किट में बेशकीमती सरकारी जमीन पर गैर-कानूनी रूप से हुए कब्जे को खाली करवाने में नगर निगम फेल/असहाय होता नजर आ रहा है। बावजूद इसके कि इस बेशकीमती सरकारी जमीन को लेकर हाईकोर्ट ने भी दिशा-निर्देश जारी कर रखे हैं। हालांकि कहने को तो निगम प्रशासन ने उक्त विजय रामलीला कमेटी द्वारा वर्षो से कब्जाई जगह पर सीलिंग/तोडऩे के लिए कई बार पुलिस फोर्स भी ली है लेकिन ना जाने किन कारणों के चलते निगम प्रशासन इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहा है। निगम द्वारा विजय रामलीला कमेटी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखने का कोई कारण समझ में नहीं आ रहा है। आम चर्चा है कि निगम अधिकारी पिक एंड चूज की नीति पर चलते हैं जिसके चलते हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी इस मामले में निगम ढुलमुल रवैया अपनाए हुए है।
वहीं दुसरी तरफ अपने ऊपर तलवार लटकती देख विजय रामलीला कमेटी के यहां के दुकानदारों/किराएदारों ने 19 मार्च एक मेमोरंडम जिला उपायुक्त को देकर उनसे अपील की थी कि प्रशासन उनको ये दुकानें या तो सरकारी रेट से अलॉट कर दे या फिर उन्हें किराए पर दे दे ताकि उनकी रोजी-रोटी चलती रहे। इस पर इन दुकानदारों को इस मामले में 15 दिन का समय जिला उपायुक्त कम निगमायुक्त द्वारा दे दिया गया ताकि वो इस बीच सारा मामला समझ सकें। इसी के चलते वास्तुस्थिति जानने के लिए निगमायुक्त ने शुक्रवार को संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ मौका-मुआयना किया था जिसका शायद अभी कोई निष्कर्ष उन्होंने नहीं निकाला है। लेकिन दुकानदारों ने उनसे पूरी उम्मीद बांध रखी है।
सरकारी सुत्रों की मानें तो विजय रामलीला कमेटी को उक्त जमीन/पार्क कभी भी ना तो अलॉट की गई और ना लीज पर दी गई। विजय रामलीला कमेटी ने बच्चों के खेलने के पार्क में अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। बता दें कि विजय रामलीला कमेटी मामले को लेकर नगर निगम ने खुद अपना शपथ पत्र हाईकोर्ट में दाखिल किया हुआ है, बावजूद इसके अभी तक नगर निगम ने उक्त सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं लिया है।
यहीं नहीं, विजय रामलीला कमेटी को लेकर जब हाईकोर्ट में केस डाला गया था तो उस समय 2012 तक कोई भी बैलेंस शीट कमेटी द्वारा रजिस्ट्रार कार्यालय में जमा नहीं कराई गई थी जिसकी पुष्टि RTI के जवाब में दी गई सूचना से होती है।
NIT के लोगों में इन तमाम पहलुओं की चर्चा बड़े जोर-शोर से है कि निगम की ऐसी कार्यशैली को देखकर क्यों ना यह माना जाए कि निगम दोहरा मापदंड अपना रहा है। फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के ऑफिस को तो निगम ने ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग में मुद्दा उठने के बाद सील कर अपने कब्जे में ले लिया, वहीं विजय रामलीला कमेटी का मामला आज भी पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है जिसकी अगली तारीख 9 मई है। बावजूद इसके निगम कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। यह अपने आप में निगम के दोहरे मापदंड अपनाने की नीति को दर्शाता है।
अब देखना यह है कि जिला उपायुक्त कम निगमायुक्त इस मामले में क्या कार्यवाही अमल में लाते हैं जिस पर पूरे NIT के लोगों की निगाह है। -क्रमश:

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