प्रदेशभर के निजी स्कूलों को देनी होगी फार्म-6 के साथ ऑडिट रिपोर्ट
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
चंडीगढ़/फरीदाबाद, 20 दिसम्बर:
हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय ने प्रदेशभर के 8600 निजी स्कूलों पर फार्म नंबर-6 के साथ सालाना/वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट को लेकर बड़ा कदम उठाया है। शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश पत्र जारी करते हुए सभी निजी स्कूलों द्वारा फार्म नंबर-6 के साथ ऑडिट रिपोर्ट (बैलेंस सीट) जमा कराना अनिवार्य किया है। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय ने प्रदेशभर के निजी स्कूलों को 31 दिसंबर तक रिपोर्ट भी तलब की है। यह बड़ी कार्रवाई स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए की गई है। शिक्षा निदेशालय में फार्म नंबर-6 जमा कराए बगैर कोई भी निजी स्कूल फीस बढ़ोत्तरी नहीं कर पाएगा और ना ही पिछली फीस ही स्कूल में लागू रहेगी। अब तक प्रदेशभर में निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय को अनिवार्य रूप से फार्म-6 नहीं भेजते थे, जबकि इसकी शिक्षा निदेशालय पर भी कोई नियमित मॉनिटरिंग नहीं की जाती थी। ऐसे में निजी स्कूलों की मनमानी भी अभिभावकों पर भारी पड़ती और निजी स्कूल अपने ही तरीके से अभिभावकों पर फीस बढ़ोतरी का बोझ लाद देते थे। जबकि कोई भी लाभ में चल रहा निजी स्कूल बिना फार्म 6 के फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकता है।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार व संगठन के अंबाला से अजय गुप्ता एडवोकेट, फरीदाबाद से डॉ० मनोज शर्मा ने मौलिक शिक्षा निदेशालय के समक्ष 16 दिसंबर को निजी स्कूलों के संबंध में फार्म नंबर-6 के साथ ऑडिट रिपोर्ट जमा कराने संबंधी शिकायत भेजी थी। इस पर शिक्षा निदेशालय ने शिकायत पर फैसला लेते सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर करते हुए फार्म-6 के साथ ऑडिट रिपोर्ट भिजवाना सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं। ऐसा नहीं करने पर शिक्षा निदेशालय ने संबंधित अधिनियम के तहत विभागीय कार्रवाई की भी चेतावनी दी है। बृजपाल परमार ने बताया कि निदेशालय ने अपने आदेशों में यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई निजी विद्यालय फार्म-6 के साथ ऑडिट रिपोर्ट (बैलेंस सीट) उपलब्ध नहीं कराता है तो फार्म नंबर-6 अधूरा समझा जाएगा और कोई भी स्कूल फीस बढ़ोतरी नहीं कर पाएगा।
ये है नियम:-
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेशाध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि सरकार द्वारा वर्ष 1995 में एक कानून बनाया गया था, जिसमें स्कूलों को फार्म नंबर-6 के साथ हर साल अपनी ऑडिट रिपोर्ट देनी थी। लेकिन आज तक प्रदेशभर में एक भी निजी स्कूल द्वारा अपने फार्म नंबर-6 के साथ रिपोर्ट जमा नहीं करवाई है। ऐसे में अभिभावकों पर सालाना फीस बढ़ोतरी का बोझ भी बढ़ रहा है। बृजपाल परमार ने बताया कि फार्म नंबर-6 व बैलेंस सीट उपलब्ध कराने के बाद शिक्षा निदेशालय ही निर्णय लेगा कि स्कूल में फीस बढ़ाना जरूरी है या नहीं।

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