मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 5 दिसंबर: मुख्यमंत्री के खाते यानि CM Announcement से किए जा रहे कार्य के लिए एक ठेकेदार के खिलाफ DHBVN जल्द एक्शन लेगा क्योंकि उक्त ठेकेदार बिजली निगम के नियमों को ताक पर रखकर बिजली कनेक्शन का गलत प्रयोग कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक NIT के रोज गार्डन में CM Announcement से पार्क के सौंन्दर्यकरण का काम किया जा रहा है। इस फंड से पार्क के बाहर टाईलें लगाना, पार्क की चारदीवारी ऊंची करना व टाईलें लगाने सहित पार्क के अंदर भी कार्य करना शामिल है। नगर निगम फरीदाबाद यानि MCF ने इस कार्य का ठेका निगम के मलिक नामक एक ठेकेदार को दिया हुआ है। लेकिन उक्त ठेकेदार NGT के आदेश, नगर निगम के नियम व DHBVN के नियमों को ताक पर रखकर इस रोज गार्डन में काम कर रहा है।

फाइनेंस कमेटी ने कम किया बजट:-
नगर निगम फरीदाबाद ने रोज गार्डन के सौंन्दर्यकरण के लिए एक टेंडर निकाला जिसे निगम के एक ठेकेदार मलिक ने करीब 1 करोड़, 10 लाख रुपए का भरा। लेकिन फाइनेंस कमेटी ने इस रकम को कम करते हुए करीब 6 लाख रुपए ठेकेदार से टेंडर में कम करवा लिए। यानि कुल मिलाकर कहा जाए तो फाइनेंस कमेटी ने इस तरह नगर निगम को 6 लाख रुपए का फायदा पहुंचा कर टेंडर मलिक ठेकेदार को दे दिया।

ठेकेदार द्वारा पुरानी ईंटों से किया जा रहा है रोज गार्डन का काम:-
नगर निगम की फाइनेंस कमेटी ने जहां एक तरफ नगर निगम को करीब 6 लाख रुपए का फायदा पहुंचाया, वहीं निगम के Corrupt अधिकारियों ने इस मामले में अपनी आंखे बंद कर निगम को नुकसान करवा दिया। आपको बता दें कि यहां ठेकेदार पार्क में से ही नीचे से जमीन में से ईंटे उखाड़ कर पार्क की दीवारों को ऊंचा करवा रहा है।
मौके पर काम कर रहे एक मजदूर ने खुद बताया है कि ठेकेदार ने उन्हें कहा है कि नीचे से पुरानी ईंटे निकाल कर पार्क की चारदीवारी को ऊंचा कर दो। हालांकि इस बात की जानकारी निगम अधिकारियों को भी है लेकिन निगम अधिकरियों ने इसे नजरअंदाज किया हुआ है जिसके चलते इस ठेकेदार के खिलाफ निगम द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

कैसे हुआ निगम को आर्थिक नुकसान:-
निगम टेंडर के अनुसार ठेकेदार को पार्क की चार दीवारी को ऊंचा करना था और उस पर टाईले लगानी थी। साथ ही पार्क और सडक़ के बीच की ग्रीन बेल्ट पर भी इंटरलाकिंग टाईल्स बिछाने का काम करना था। अब ठेकेदार ने अपना फायदा और निगम का नुकसान करते हुए ग्रीन बेल्ट में लगी खंडज़े की ईंटों को ही उखाड़ कर चारदीवारी को ऊंचा कर दिया। यानि ठेके में तो दर्शाया गया कि ईंटे नई आयी और उससे चारदीवारी को ऊंचा किया गया लेकिन असलियत में हुआ यह कि पुरानी खड़ंजे की ईंटों से ही चारदीवारी को ऊंचा कर दिया। यानि सीधे-सीधे निगम को आर्थिक चपत। इसे कहते हैं निगम का ही माल निगम को ही बेच दिया।

जब ठेकेदार ने पार्क में ही लगा दी टाईल बनाने की फैक्ट्री:-
बात यहीं खत्म नहीं होती। ठेकेदार ने पार्क में बिजली का कनेक्शन लेने के लिए नगर निगम से एक लेटर लिखवाया जिस पर बिजली निगम ने ठेकेदार को पार्क में एक Temporarily कनेक्शन दे दिया, लेकिन यह कनेक्शन ठेकेदार को सिर्फ Job Work के लिए दिया गया था। इस मीटर पर ठेकेदार यहां कोई फैक्ट्री या इंडस्ट्री नहीं लगा सकता था लेकिन ठेकेदार ने यहां भी बिजली निगम के नियमों को ताक पर रखकर यहां टाईल बनाने की फैक्ट्री ही लगा दी। ठेकेदार यहां पर लगभग पिछले 9 माह से टाईले बनाने का कार्य कर रहा है।

बिजली निगम लेगा एक्शन: चौहान
बिजली निगम के एसई पीके चौहान ने इस मामले में कहा है कि किसी भी अस्थाई मीटर पर फैक्ट्री या इंडस्ट्री नहीं लगाई जा सकती। यह सरासर नियमों के खिलाफ है। मौके का मुआयना कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आवश्यकता पडऩे पर इस कनेक्शन को काटते हुए कानून के दायरे में कार्रवाई होगी।
बिजली निगम के एसई द्वारा दिए गए बयान से यह तो स्पष्ट हो गया कि पार्क में लगी हुई यह फैक्ट्री अवैध है लेकिन नगर निगम सब कुछ जानते हुए भी चुप्पी साधे बैठा है।

क्या निगम अधिकारियों के पास है कोई लेखा-जोखा?:-
नगर निगम अधिकारियों के पास पार्क में लगी उक्त फैक्ट्री के संबंध में कोई लेखा-जोखा नहीं है। लगभग पिछले 9 माह से पार्क में टाईल बनाने की यह फैक्ट्री लगी हुई है। यहां पर कितनी टाईलें बनाई गई और पार्क में कितनी टाईलें लगी, इस बात की निगम अधिकारियों के पास कोई जानकारी नहीं है। पार्क में सैर करने वाले एक बुजुर्ग ने बताया कि यहां से तो टाईले ट्राली में भर कर बाहर भी जाती हैं। यानि यहां टाईल सिर्फ पार्क में लगने के लिए ही नहीं बल्कि बाहर के लिए भी बनाई जा रही है। हालांकि यहां से टाईल बाहर जाने के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है लेकिन उस बुजुर्ग ने बताया कि उन्होंने स्वयं ऐसा होते देखा है।

NGT के नियमों का सरेआम उल्लंघन:-
प्रदूषित शहरों में फरीदाबाद पहले स्थान पर पहुंच गया है। इसके बाद एनजीटी ने सख्त रवैया अपनाते हुए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी और जिला प्रशासन को आदेश भी दिए थे कि किसी भी तरह की डस्ट बाहर सडक़ पर न हो और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा था। लेकिन एनजीटी के आदेशों को सरेआम ताक पर रखकर ठेकेदार मलिक ने पार्क में ही सरेआम फैक्ट्री लगा रखी है। इतना ही नहीं पार्क के बाहर भी सरेआम डस्ट के टीले लगा रखे हैं। लेकिन नगर निगम प्रशासन अपनी आंखें मूंदे सो रहा है। ऐसा नहीं है निगम को इस बात की जानकारी नहीं है बल्कि अधिकारियों को सब कुछ पता होते हुए भी वह कोई कदम नहीं उठा रहे।

बिना किराया दिए चल रही फैक्ट्री:-
वैसे तो नगर निगम आय के स्त्रोत खोज रहा है लेकिन अपनी ही जमीन पर निगम ने अवैध रूप से फैक्ट्री लगवा दी है। जबकि नियमानुसार निगम की यदि कोई जगह प्रयोग की जाए तो उसे उसका किराया देना होता है। रोज गार्डन में लगभग पिछले 9 माह से टाईल बनाने की फैक्ट्री लगी हुई है लेकिन नगर निगम के पास इस बावत कोई आय नहीं आई जबकि रोज गार्डन की जमीन नगर निगम के अधीन आती है। यानि यदि यहां पर ठेकेदार को फैक्ट्री लगानी थी तो उसे नगर निगम से इसकी अनुमति लेनी चाहिए थी लेकिन ठेकेदार ने ऐसा नहीं किया और यहां टाईल लगाने की फैक्ट्री ही लगा दी। अजीब विडम्बना है कि नागरिकों के लिए ही बनाए गए पार्क में यदि कोई नागरिक घूमने आता है तो उसे अपना वाहन खड़ा करने के लिए सरकार को पार्किंग शुल्क देना होता है लेकिन यहां इसी पार्क में टाईल बनाने का कारखाना इतने लंबे समय से चल रहा है, फिर भी निगम को इससे कोई आय नहीं है।

ठेकेदार मलिक का बयान:-
जब ठेकेदार मलिक से इस बारे में बात की गई कि क्या आपके वर्क ऑर्डर में यहां प्लांट लगाने का विवरण है? साथ ही क्या आप इस फैक्ट्री को निगम की जमीन पर लगाने की एवज में कोई किराया दे रहे हैं तो वह अन्य साईटों का हवाला देते हुए बात को टालते रहे लेकिन उन्होंने किसी भी सवाल का स्पष्ट जबाव नहीं दिया।
मैट्रो प्लस द्वारा की गई छानबीन में इस पूरे मामले में कई सवाल खड़े होते हैं जैसे कि:-
1. पार्क में फैक्ट्री लगाना यदि नियमों के खिलाफ है तो निगम अधिकारी कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे?
2. बिजली विभाग क्या मीटर लगाकर अपने कार्य की इतिश्रि कर लेता है? क्या बिजली विभाग का यह दायित्व नहीं की वह यह जांच करें कि उसके द्वारा लगाए गए मीटर का कैसे और कहां प्रयोग किया जा रहा है?
3. अभी तक कोई भी किराया न वसूलना यानि नगर निगम की आर्थिक हानि का जिम्मेदार कौन?

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