मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 10 जनवरी:
DLF Industries Association ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर MSME सैक्टर की धीमी विकास दर की ओर जहां उनका ध्यान आकर्षित किया है वहीं एसोसिएशन ने MSME सैक्टर के समक्ष इंफ्रास्ट्रक्चर, वर्क स्पेस और वित्त की कमी के चलते उभर रही समस्याओं पर तुरंत ध्यान देने व प्रभावी कार्यनीति क्रियान्वित करने का आग्रह किया है।      
इस मौके पर एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा ने बताया कि पत्र में माननीय MSME मंत्री का ध्यान MSME सैक्टर को गति प्रदान करने के लिए ठोस पग उठाने के लिए आकर्षित करते हुए कार्यवाही का आग्रह किया गया है। पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री का Make in India विजिन मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर के जीडीपी में वर्ष 2025 तक योगदान को 15 फीसदी से 25 फीसदी लाने का है जबकि सांख्यिकी एवं प्रोग्राम मंत्रालय के अनुसार GDP में मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर की भागीदारी 18 फीसदी है।
श्री मल्होत्रा के अनुसार यह वास्तव में चेतावनी भरे संकेत हैं जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
MSME सैक्टर के समक्ष भुगतान व क्रेडिट संबंधी आ रही समस्याओं का जिक्र करते हुए श्री मल्होत्रा ने कहा है कि 18 प्रतिशत GST MSME सैक्टर के लिए और समस्याएं खड़ी कर रहा है। मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर जोकि एक बड़ा सैक्टर माना जाता है, के संबंध में श्री मल्होत्रा ने कहा है कि चेन लिमिटेशन और अनौपचारिक कस्टमर रिलेशनशिप के चलते पेमैंट साइकिल MSME सैक्टर के लिए साकारात्मक नहीं हो पा रही। यही नहीं अब 18 प्रतिशत जीएसटी और 100 से 120 दिन तक भुगतान मिलने की स्थिति में MSME सैक्टर्स पर आर्थिक भार पड़ता है जोकि एक माह की बिक्री का आंकड़ा है। श्री मल्होत्रा ने जीडीएस (जीएसटी डिडैक्टिड एट सोर्स) की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इस संबंध में ऐसे निर्णय जरूरी हैं जिससे जीएसटी में एमएसएमई सैक्टर का पैसा ब्लाकन हो सके।
श्री मल्होत्रा ने सुझाव देते कहा है कि बड़े उद्योगों से यह कहा जा सकता है कि वह जीएसटी कम्पोनैंट्स को छोटे उद्योगों को हस्तांतरित करें इससे जीएसटी रिटर्न और सुधार के रास्ते खुलेंगे। इसके साथ ही जीएसटी में दरों को कम करने की भी मांग की है।
उल्लेखनीय है श्री मल्होत्रा ने यह सुझाव व राय पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज की पिछली वार्षिक आम सभा में दिए थे जिसे सभी ने सराहा था। उन्होंने इसके साथ-साथ जीएसटी रिटर्न प्रक्रिया को सरल बनाने, उद्योगों का पैसा ब्लाक होने से रोकने, इनपुट टैक्स क्रैडिट को साकारात्मक बनाने की भी आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने बताया कि डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने श्री गडकरी का ध्यान इस ओर दिलाया है ताकि एमएसएमई सैक्टर को राहत मिल सके।

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