मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की विशेष रिपोर्ट

– हाईकोर्ट का आदेश, पूरे हरियाणा में लाखों छात्र प्रभावित होंगे
चंडीगढ़/फरीदाबाद, 22 मार्च: हाईकोर्ट के आदेश पर फरीदाबाद सहित पूरे हरियाणा भर के 22 में से 18 जिलों के अंदर गली-मोहल्लों में दो-तीन कमरों में चलने वाले प्राईवेट स्कूलों सहित कुछ उन नामचीन स्कूलों पर भी तालाबंदी की तलवार लटक गई है जोकि सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं हैं फिर भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं। शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश पर 33 पेजों की एक लिस्ट जारी कर अभिभावकों का सावधान किया है कि वो लिस्ट में शामिल प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला ना कराएं वरना बाद में उन्हें पछताना पड़ सकता है। ये स्कूल सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं हैं और गैर-कानूनी रूप से चल रहे हैं। वहीं इस लिस्ट में वो स्कूल भी शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण बेवजह लपेटे में आ गए हैं जोकि वर्षों मान्यता प्राप्त हैं।
शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट में दायर एक याचिका नंबर सीडब्ल्यूपी 4499/2017 जोकि रंजन लखनपाल बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा आदि के नाम से है, पर हुए आदेशों के तहत पूरे हरियाणा के 1083 ऐसे गैर-मान्यता प्राप्त प्राईवेट स्कूलों की लिस्ट जारी की है जिनमें जल्द ही तालाबंदी की जाएगी। ऐसे जिलों में संख्या के आधार पर पहले नंबर पर पानीपत तथा दूसरे नंबर पर फरीदाबाद जिला आता है जहां क्रमश: 157 तथा 134 स्कूल हैं जोकि गैर-मान्यता प्राप्त है परन्तु फिर भी चल रहे हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा जारी लिस्ट के मुताबिक पूरे हरियाणा में जो गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल चल रहे उनमें अम्बाला के 15, भिवानी के 70, फरीदाबाद के 134, फतेहाबाद के 87, गुरूग्राम के 92, हिसार के 50, झज्जर के 4, जींद के 10, कैथल के 60, करनाल के 77, कुरूक्षेत्र के 68, नूंह के 53, पानीपत के 157, रिवाड़ी के 40, रोहतक के 63, सिरसा के 19, सोनीपत के 48 तथा यमुनानगर के 36 प्राईवेट स्कूल शामिल हैं।
मजेदार बात तो यह कि जिन प्राईवेट स्कूलों को शिक्षा विभाग द्वारा अब गैर-मान्यता प्राप्त बताया जा रहा है, उनमें से कई स्कूलों में तो बोर्ड परीक्षाओं के सैंटर तक भी बन चुके हैं। ऐसे स्कूलों में से एक फरीदाबाद की राजीव कालोनी में स्थित फौगाट पब्लिक स्कूल भी है जहां कि आज भी बोर्ड ने अपना सैंटर बनाया हुआ है और वहां परीक्षाएं चल रही हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब ये स्कूल गैर-मान्यता प्राप्त है तो फिर यहां बोर्ड परीक्षाओं का सैंटर क्यों बनाया गया। जबकि इस मामले में स्कूल के डॉयरेक्टर सतीश फौगाट का कहना था कि उनका स्कूल 12वीं तक स्थायी मान्यता प्राप्त है। साथ ही उनका यह भी कहना था कि शिक्षा विभाग ने ये जो गलत लिस्ट जारी की हैं, उसको लेकर बल्लभगढ़ प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन को एक प्रतिनिधिमंडल आज जिला शिक्षा अधिकारी से मिला था और उनको सारी बातों से अवगत कराया था। इस मामले में शिक्षा विभाग के डॉयरेक्टर और संबंधित अधिकारियों को नोटिस दिया जाएगा जिसके लिए वकील से बातचीत चल रही है। ऐसे कई सवाल हैं जोकि सरकार और स्कूल प्रबंधन की कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में खड़ा करते हैं।
वहीं दूसरी तरफ यह भी पता चला है कि स्कूल प्रबंधन शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर 8वीं तक मान्यता प्राप्त स्कूलों में 10वीं तक तथा 10वीं तक मान्यता प्राप्त अपने स्कूलों में 12वीं तक के बच्चों को पढ़ाने में लगा है जिसकी जानकारी स्कूली बच्चों के अभिभावको को नहीं हैं और ना ही उन्हें दी जाती है। स्कूल प्रबंधन ऐसे बच्चों की बोर्ड परीक्षा के फार्म दूसरे स्कूलों से भरवा देते हैं जिनकी जानकारी ना तो छात्रों को होती है और ना ही उनके अभिभावकों को। इसलिए जानकारी के अभाव में अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में दाखिला दिला देते हैं और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है। इसलिए अब शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश पर गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की लिस्ट जारी तो कर ही दी है जिन पर संभवत: जल्द ही तालाबंदी की जाएगी, वहीं शिक्षा विभाग ऐसे मामलों से अभिभावकों को बचाने के लिए जल्द ही विभिन्न माध्यमों से जागरूकता अभियान भी चलाएगा ताकि अभिभावक ऐसे गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों के झांसे में ना आ सके जहां उनके बच्चों का भविष्य खराब हो।
वहीं सूत्रों से तो यह भी पता चला है कि कुछ समय पहले शिक्षा विभाग की एक जिला स्तरीय अधिकारी ने बैक डेट यानि पिछली तारीखों में अपनी पॉवर का इस्तेमाल करते हुए कई स्कूलों को 8वीं तक मान्यता दे दी थी। बताते है कि इस मामले की शिकायत होने पर जब जांच करवाई गई तो शिकायत सही पाई गई थी। अब उन स्कूलों पर भी कार्यवाही हो सकती है जिनको सरकार के मानक पूरे ना होने पर भी पिछली तारीखों में मान्यता दे दी गई थी।
हालांकि समाचार लिखे जाने तक जिला शिक्षा विभाग ने ना तो बंद किए जाने वाले जिनको कि वह गैर-मान्यता प्राप्त बता रहा है, स्कूलों को किसी प्रकार के कोई नोटिस दिए हैं और ना ही सार्वजनिक रूप से ऐसे स्कूलों की लिस्ट सार्वजनिक की है।
नहीं आया कोई ऑफिशियल लैटर:-
इस मामले में जब जिला शिक्षा अधिकारी सतेन्द्र कौर से बात की गई तो उन्होंने जानबूझकर अनभिज्ञता जाहिर करते हुए सीधे तौर पर अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनके पास अभी तक उपरोक्त मामले में ऑफिशियल लैटर नहीं आया है। इसलिए उनकी जानकारी में यह मामला नहीं हैं। जबसे उनसे पूछा गया कि शिक्षा विभाग की वेबसाईट पर गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की लिस्ट अटैच है तो उनका कहना था कि वो चंडीगढ़ से लोड की गई होगी, जिसकी उन्हें जानकारी नहीं है। इस संदर्भ में किसी स्कूल एसोसिएशन द्वारा उनसे मिलने की बात पर भी उन्होंने इंकार कर दिया। हालांकि बाद में काफी कुरदने पर उन्होंने कहा कि एसोसिएशन वाले दो मिनट के लिए चलते-चलते मिले थे क्योंकि वो इलेक्शन ड्यूटी में व्यस्त हैं। उनसे उन्होंने कह दिया है कि वो अपने मान्यता प्राप्त के दस्तावेज जमा करा दें, बाद में देखेंगे।
जो भी शिक्षा विभाग और स्कूल संचालकों की इस रस्साकसी में असली नुकसान तो छात्रों को पढ़ाई के तौर पर और अभिभावकों को आर्थिक रूप से उठाना पड़ेगा।
अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग कब तक उन स्कूलों पर तालाबंदी करता है जिसकी लिस्ट उसने जारी की है।   – क्रमश:

शिक्षा विभाग द्वारा जारी फरीदाबाद के गैर-मान्यता प्राप्त 134 प्राईवेट स्कूलों की लिस्ट

शिक्षा विभाग द्वारा जारी हरियाणा भर के गैर-मान्यता प्राप्त 1083 प्राईवेट स्कूलों की लिस्ट

 

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