मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
– निजी स्कूल शिक्षा का प्रचार प्रसार करने की बजाए खुद के मुनाफाखोरी और कमीशनखोरी के चक्कर में करोड़ों रुपयों के बजट को भी गैर-कानूनी तरीके से दूसरी जगह ट्रांसफर कर रहे हैं: बृजपाल

– अब प्रदेश भर के करीबन 8 हजार निजी स्कूलों को 31 मार्च तक देनी होगी विद्यालय की ऑडिट रिपोर्ट
चंडीगढ़/फरीदाबाद, 26 मार्च: हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय अपने ही एक्ट को बनाने के बाद शायद भूल ही गया था। शायद यही वजह रही कि आखिरकार 24 साल बीत जाने के बाद विभागीय अधिकारियों को निजी स्कूलों द्वारा हर साल दी जाने वाली ऑडिट रिपोर्ट की याद आ गई। हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा नियमावली 1995 में के चैप्टर 6 के सेक्शन 17(5) को लागू करते हुए हरियाणा के सभी निजी स्कूलों के लिए हर वर्ष ऑडिट रिपोर्ट जमा कराए जाने के आदेश दिए थे। इन आदेशों के बावजूद प्रदेश भर के अधिकांश निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा निदेशालय में ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं कराई गई।
इस मामले को स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने चुनौती दी थी और इसकी शिकायत शिक्षा महानिदेशक व मुख्यमंत्री को 17 नवम्बर, 2018 को कर दी। शिकायत से पहले स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने शिक्षा निदेशालय से आरटीआई के जरिए निजी स्कूलों द्वारा ऑडिट रिपोर्ट जमा कराए जाने संबंधी पहलुओं पर आधारित कुछ जवाब मांगे थे, जिसमें उपलब्ध कराई गई सूचना में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इनमें यह भी बात उजागर हो गई कि एक्ट लागू होने के 24 साल बाद भी किसी भी निजी स्कूल ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय को उपलब्ध नहीं कराई है। इस सच्चाई के उजागर होने के बाद शिक्षा निदेशालय ने अपने ही एक्ट को करीबन ढाई दशक बीत जाने के बाद भी लागू नहीं कराए जाने की झेप मिटाने के लिए आननफानन में ये आदेश जारी कर दिए। हरियाणा स्कूली सेकंडरी शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रदेशभर के करीबन 8 हजार निजी स्कूलों को 31 मार्च से पहले ऑडिट रिपोर्ट के साथ-साथ सभी जरूरी दस्तावेज निदेशालय के समक्ष भेजे जाने के आदेश दे डाले। इनमें फार्म नंबर 6 भी जमा कराना अनिवार्य किया गया है। हालांकि ये सभी औपचारिकताएं शिक्षा नियमावली 1995 में एक्ट बनाकर दर्शायी हुई हैं, लेकिन इस पर अमल आज तक नहीं किया जा रहा था। मगर अब शिक्षा निदेशालय ने ऑडिट रिपोर्ट नहीं जमा कराने वाले निजी स्कूलों पर भी अपनी नजरें तरेर ली हैं।
ये हैं नियम:-
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि हरियाणा शिक्षा नियमावली 1995 के एक्ट के चैप्टर 6 सेक्शन 17(5) में प्रत्येक निजी स्कूल द्वारा निदेशालय को अपनी ऑडिट रिपोर्ट फार्म नम्बर 6 के साथ हर साल दाखिला प्रक्रिया शुरू करने से पहले जमा करवाएगा। जिसमें निदेशालय द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्कूल लाभ में चल रहा है या फिर हानि में चल रहा है। अगर स्कूल लाभ में चल रहा है तो इसमें दाखिल बच्चों पर फीस बढ़ोत्तरी का नाजायज दबाव या बोझ नहीं डाल सकता। अगर स्कूल हानि में चल रहा है तो निदेशालय ही यह सुनिश्चित करेगा कि फीस बढ़ोत्तरी जरूरी है या नहीं।
करोड़ों का मुनाफा, फिर भी बच्चों पर थोपी भारी-भरकम फीस:-
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि प्रदेशभर में सैकड़ों नामी निजी स्कूल हैं जो अनावश्यक रूप से हर साल बच्चों पर भारी-भरकम फीस थोप रहे हैं, जबकि निदेशालय को ऑडिट रिपोर्ट तक नहीं दी जाती। ऐसे निजी स्कूल शिक्षा का प्रचार प्रसार करने की बजाए खुद के मुनाफाखोरी और कमीशनखोरी के चक्कर में करोड़ों रुपयों के बजट को भी गैर-कानूनी तरीके से दूसरी जगह ट्रांसफर कर रहे हैं, जिसके पुख्ता सबूत भी संगठन के समक्ष है। जबकि नियम के अनुसार कोई भी निजी स्कूल पैसे को किसी दूसरी जगह ना तो इस्तेमाल कर सकता है और ना ही उसे ट्रांसफर कर सकता है। स्कूल से अर्जित आय को स्कूल के अंदर ही बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया जा सकता है।
ये है कार्रवाई का प्रावधान:-
बृजपाल परमार ने बताया कि अगर कोई भी निजी स्कूल यदि हर साल निदेशालय में अपनी ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं कराता है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही का भी प्रावधान किया हुआ है। जिसमें उस निजी स्कूल की मान्यता भी रद्द हो सकती हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस नियम को गंभीरता से नहीं लिया। यही वजह रही कि निजी स्कूल लम्बे अर्से तक मनमानी कर निदेशालय को ही ठेंगा दिखाते रहे। मगर अब ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं कराने वाले निजी स्कूलों पर शिक्षा विभाग का शिकंजा कसना भी लगभग तय हो गया है।

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