मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 29 मई:
देश की नामी-गिरामी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ एस्टेट के चेयरमैन कुशाल पाल सिंह उर्फ के.पी. सिंह और कंपनी के जीएम वरूण सिंह को पुलिस धोखाधड़ी के आरोप में कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। ऐसा हो सकता है न्यायाधीश विवेक चौधरी की अदालत के उन आदेशों से जिनमें अदालत ने उक्त दोनों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर इनको गिरफ्तार कर 4 जून को अपने सामने पेश करने के आदेश दिए हैं। अब देखना यह है कि पुलिस उपरोक्त दोनों हस्तियों को गिरफ्तार करती है या फिर उनको अपनी जेब गर्म कर उनका बचाव करती है।
जानकारी के मुताबिक पुलिस थाना सैक्टर-7 में आईपीसी के धारा 420, 467, 468 व 471 के तहत एक एफआईआर दर्ज है। इस केस में जांच के दौरान सामने आया है कि उपरोक्त डीएलएफ एस्टेट कंपनी ने डी-मार्केशन के दस्तावेजों में छेडख़ानी की है जिन दस्तावेजों को पुलिस ने बरामद भी कर लिया है। इसी धोखाधड़ी के चलते पुलिस ने इस मामले में डीएलएफ के चेयरमैन के.पी. सिंह और जीएम वरूण सिंह को नामजद किया था। इस मामले में जब आरोपी अदालत में पेश नहीं हुए तो माननीय विवेक चौधरी की अदालत ने उपरोक्त दोनों के खिलाफ अब गिरफ्तारी/अरेस्ट वारंट जारी कर एसएचओ थाना सैक्टर-7 को उन्हें गिरफ्तार कर चार जून तक उनकी अदालत में पेश करने के आदेश जारी किए हैं। इस मामले में जब एसएचओ सैक्टर-7 से बात करने की कोशिश की गई तो उनके छुट्टी पर होने के कारण उनसे बात नहीं हो सकी।
वहीं इस मामले में पीडि़त द्वारा पुलिस की लापरवाही की शिकायत के चलते पुलिस कमिश्रर ने इस मामले की जांच अब तुरंत प्रभाव से इकोनॉमिक सैल बल्लभगढ़ को सौंप दी है।

क्या है मामला:-
जानकारी के मुताबिक सैक्टर-11 डीएलएफ में अश्विनी अग्रवाल रीयल इस्टेट एंड डवलपरस के नाम से प्रोपर्टी की खरीद-फरोख्त का धंधा करने तथा अपने आपको डीएलएफ का अधिकृत एजेंट बताने वाले नवीन अग्रवाल तथा धर्मपाल ग्रोवर के खिलाफ थाना सैक्टर-7 पुलिस ने पुलिस को फर्जी दस्तावेज देने तथा एक प्लॉट पर जबरन कब्जा करने की मंशा से दीवार बनाने से रोकने के मामले में मुकदमा दर्ज किया था। शिकायतकर्ता कंवल सिक्का ने सैक्टर-7 थाना पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा था कि सैक्टर-11ए/5 में उनका प्लॉट है जिसकी बरसात के कारण दीवार टूट गई थी। इस दीवार की मरम्मत कर वह उसे दोबारा बना रहा था क्योंकि दीवार टूटने के कारण वहां लोग शौच करने आने लगे थे। कंवल के मुताबिक जब वह गत् 22 जुलाई, 2017 को अपने प्लॉट की दीवार की मरम्मत करवा रहा था तो धर्मपाल अपने पुत्र नवीन अग्रवाल के साथ उनके प्लॉट पर आया और मजदूर से बद्तमीजी करने लगा जोकि वहां से जाते समय मुझे भी बाहर ही मिल गया था। उसने वहां मुझसे भी बद्तमीजी करते हुए कहा कि या तो ये काम बंद करवा दे वरना तुझे जान से मरवा दूंगा। इसके बाद उसने पुलिस चौकी वालों से मिलकर मेरी दीवार के मरम्मत के काम को रूकवा दिया। इस पर मैंने डीएलएफ से मिले अपने प्लॉट की डी-मार्केशन के कागजात पुलिस को दिखाए तो उसी तारीख 09-07-1973 के प्लॉट नंबर-5 के डी-मार्केशन के कागजात धर्मपाल ग्रोवर व नवीन अग्रवाल ने भी पुलिस को दे दिए। इस पर मैंने पुलिस को अपने दस्तावेजों से पुलिसवालों को संतुष्ट कर दिया कि उसके कागजात असली हैं जबकि धर्मपाल ग्रोवर व नवीन अग्रवाल द्वारा पुलिस को दिए गए दस्तावेज जांच में फर्जी पाए गए।
बकौल कवल सिक्का यही नहीं, पुलिस चौकी के इंचार्ज रूम में धर्मपाल ग्रोवर यह भी धमकी देने लगा कि एक आईएएस अधिकारी उसके दामाद का साला है और ताराचंद सलूजा भी उसका साला है तथा उसके 1000-1000 गज के 22 रिहायशी प्लॉट है। यह सारा घटनाक्रम पुलिस चौकी में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी आ गया।
इस सारे घटनाक्रम के मद्देनजर पुलिस ने धर्मपाल ग्रोवर व नवीन अग्रवाल द्वारा पुलिस को दिए गए दस्तावेज जांच में फर्जी पाए जाने आदि आरोपों के चलते उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468 व 471 के तहत मुकदमा नंबर-0837 दर्ज कर दिया था।
इस मामले में जहां नवीन अग्रवाल की जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी वहीं मामले में नया मोड़ तब सामने आया जब पुलिस ने डीएलएफ एस्टेट कंपनी सेे डी-मार्केशन के छेडख़ानी किए हुए असल दस्तावेजों को पुलिस ने बरामद कर लिया है। जिसके बाद बताते हैं कि पुलिस ने अपनी जांच की दिशा बदल दी और इस मामले में डीएलएफ के चेयरमैन के.पी. सिंह और जीएम वरूण सिंह को नामजद कर लिया। और जब इस मामले में जब आरोपी अदालत में पेश नहीं हुए तो माननीय विवेक चौधरी की अदालत ने उपरोक्त दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी/अरेस्ट वारंट जारी कर एसएचओ थाना सैक्टर-7 को उन्हें गिरफ्तार कर चार जून तक उनकी अदालत में पेश करने के आदेश जारी किए हैं।

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