पूरे हरियाणा में फर्जी दस्तावेजों से बन गये हैं करीब 180 पंच-सरपंच !
मैट्रो प्लस
चंडीगढ़/पलवल, 8 जुलाई (महेश गुप्ता): चौधराहट करने की चाह में शैक्षणिक योग्यता आड़े आने के बावजूद भी गांवों में लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंचायती चुनाव लड़ा ओर जीता भी। लेकिन चुनाव हारे उनके विरोधियों का यह बात हजम नहीं और उन्होंने पंचायती जन-प्रतिनिधि बने ऐसे चौधरियों का चिट्ठा खोलना शुरू कर चुनाव आयोग को उनकी शिकायतें करनी शुरू कर दी।
यदि चुनाव आयोग की माने तो पूरे हरियाणा भर में 180 पंचायत प्रतिनिधियों पर फर्जी डिग्री के आधार पर चुनाव लडऩे के आरोप लगे हैं। हरियाणा के राज्य चुनाव आयोग के पास ऐसी शिकायतें लगातार पहुंच रही हैं। इन मामलों में सबसे अधिक शिकायतें मेवात व पलवल जिलों से आई हैं। मामलों की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों से जांच रिपोर्ट तलब की है। इन पंचायत प्रतिनिधियों में सरपंच व पंच के अलावा पंचायत समिति व जिला परिषद के सदस्य भी शामिल हैं।
यहीं नहीं नगर परिषद् के सदस्यों पर भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चुनाव लडऩे के आरोप लग रहे हैं और कई मामलों में चुनावों में दूसरे नंबर पर उम्मीदवारों ने अदालत का दरवाजे भी खटखटा दिए हैं। यदि आरोप साबित हो जाते हैं तो जैसे कि उम्मीद भी है, ये जीते हुए जन-प्रतिनिधि सलाखों के पीछे भी जाकर जेल की हवा खा सकते हैं।
गौरतलब रहे कि नगर परिषद पलवल के वार्ड नंबर-24 से निर्वाचित पार्षद देवदत्त के सिर पर भी उनके चुनाव को लेकर कानूनी तलवार लटक गई है। कारण दूसरे नंबर पर रही उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रही उम्मीदवार एवं भाजपा की वरिष्ठ नेत्री श्रीमती अनीता भारद्वाज ने पार्षद देवदत्त के चुनाव को अवैध बताते हुए अदालत में केस दायर कर दिया है। जिसको कि अदालत ने मजबूत दावे को देखते हुए केस को एडमिट कर सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तारीख तय कर दी है तथा पार्षद देवदत्त के अलावा चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर सम्मन कर दिए हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार दीपक मंगला के आर्शीवाद से हाल ही में नगर परिषद की चेयरपर्सन बनी श्रीमती इंदु शर्मा व वाईस-चेयरपर्सन श्रीमती आशा पोसवाल के खिलाफ भी अदालत में रिट पिटीशंस दायर की जा चुकी हैं। अगर इनका चुनाव रद्द हो जाता है तो यह दीपक मंगला व सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।
ध्यान हो कि हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में शैक्षणिक योग्यता की शर्त अनिवार्य की थी। इसके तहत सामान्य जाति के पंच-सरपंचों के लिए 10वीं पास होना अनिवार्य था। महिलाओं एवं अनुसूचित जाति के लोगों के लिए आठवीं तथा पंच पद के लिए अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए पांचवीं पास होने की शर्त तय की गई थी। लंबी प्रकिया के बाद पंचायती राज संस्थाओं का गठन होने के बाद अब जिलों से राज्य चुनाव आयोग को ये शिकायतें आ रही हैं।
राज्य निर्वाचन आयुक्त राजीव शर्मा के मुताबिक सभी जिलों से जाली शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की शिकायतें मिली हैं। अब तक करीब 180 मामले सामने आए हैं। जिला निर्वाचन अधिकारियों को जांच का जिम्मा दिया गया है। रिमाइंडर भी भेजे गए हैं। सबसे अधिक शिकायतें पलवल व मेवात जिलों से हैं। इस संबंध में जिलों में जांच कर रिपोर्ट तलब की गयी है।
शिक्षा विभाग को दस्तावेज जांचने को कहा:-
प्रदेश के सभी 21 जिलों से फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज के आधार पर चुनाव लडऩे की शिकायतें आई हैं। कई जिला निर्वाचन अधिकारियों ने शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच के लिए शिक्षा विभाग को लिख दिया है। आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को रिमाइंडर भी लिख दिया है। इन अधिकारियों से कहा गया है कि वे जल्द से जल्द जांच करके रिपोर्ट भेजें। आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कई शिकायतें तो पांच महीने पुरानी हैं लेकिन जिलों से अब तक रिपोर्ट नहीं आई है।
2000 खाली पदों पर सितंबर में चुनाव:-
शैक्षणिक योग्यता की वजह से पंचों के 2000 से अधिक पदों के लिए योग्य उम्मीदवार ही नहीं मिले। ये पद पिछले पांच महीनों से खाली पड़े हैं। प्रदेश सरकार उप-चुनाव कराने का फैसला कर चुकी है। चुनाव आयोग का कहना है कि मतदाता सूचियों का रिवीजन हो रहा है। यह जुलाई के अंत तक पूरा होगा। ऐसे में उप-चुनाव सितंबर में होंगे। चुनाव कार्यक्रम अगस्त में ही जारी हो सकता है।

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