– अब प्रदेश भर में चल रहे फर्जी स्कूलों की शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर मिलेगी समुचित जानकारी, अभिभावक भी होंगे ऐसे स्कूलों से सावधान
– 30 जनवरी तक प्रदेशभर में चल रहे फर्जी स्कूलों की सूची मौलिक शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर जारी किए जाने के आदेश
– 20 जनवरी तक गुरूग्राम, जींद, कैथल, करनाल, रोहतक, यमुनानगर जिलों के शिक्षा अधिकारी को देनी होगी जानकारी
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
चंडीगढ़, 12 जनवरी: अब अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला किसी अच्छे स्कूल में करवाने के लिए मान्यता और गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के असमंजस में नहीं फंस पाएंगे, क्योंकि हरियाणा मौलिक शिक्षा निदेशालय को अब अपनी वेबसाइट पर ही प्रदेशभर में चल रहे फर्जी स्कूलों की समुचित जानकारी अपनी वेबसाइट पर दर्शानी होगी। राज्य सूचना आयोग ने इसके लिए मौलिक शिक्षा निदेशालय को कड़े आदेश देते हुए कहा है कि उसे 30 जनवरी तक अपनी वेबसाइट पर फर्जी एवं गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की समुचित जानकारी उपलब्ध करानी होगी। इससे की प्रदेशभर के लाखों अभिभावक ऐसे स्कूलों के प्रति सावधान रहते हुए अपने बच्चों का दाखिला कराते समय किसी तरह के झांसे में नहीं आएंगे। इतना ही नहीं राज्य सूचना आयोग ने गुरूग्राम, जींद, कैथल, करनाल, रोहतक, यमुनानगर जिलों के उप-जिला शिक्षा अधिकारियों को आरटीआई कार्यकर्ता को 20 जनवरी तक अपने जिलों में फर्जी एवं गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की समुचित जानकारी उपलब्ध कराए जाने के भी सख्त आदेश दिए हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि उन्हें जानकारी उपलब्ध कराने का यह आखिरी मौका दिया गया है, इसके बाद सूचना नहीं देने की सूरत में सम्बंधित जिलों के शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। राज्य सूचना आयोग ने मौलिक शिक्षा निदेशालय को यह भी सख्त हिदायतें दी हैं कि गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की जानकारी विभाग की वेबसाइट पर डालने के साथ ही 5 फरवरी तक आयोग के समक्ष भी रिपोर्ट भेजकर इससे अवगत कराना होगा।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार व प्रदेश महामंत्री भारत भूषण बंसल ने 26 जुलाई, 2018 को निदेशक सेकेंडरी शिक्षा विभाग से आरटीआई के जरिए प्रदेशभर में चल रहे फर्जी स्कूलों से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी। मगर निदेशालय ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराई तो इसके बाद मामला 16 अक्टूबर को राज्य सूचना आयोग के समक्ष पहुंचा। सूचना आयोग ने 24 दिसम्बर को इस मामले में तलब किया था। इसके बाद यह आदेश जारी किए गए।
राज्य सूचना आयुक्त भूपेन्द्र धर्माणी ने मौलिक शिक्षा निदेशालय को दिए आदेशों में यह भी स्पष्ट किया है कि निदेशक मौलिक शिक्षा ने जनसूचना अधिकार अधिनियम के सेक्शन-4 का उल्लंघन किया है। उन्होंने यह भी टिप्पणी की है कि शिक्षा निदेशालय का यह दायित्व बनता है कि प्रदेशभर में चल रहे गैर-मान्यता प्राप्त व फर्जी स्कूलों के प्रति अभिभावकों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें, इसके लिए सबसे पहले अपनी वेबसाइट पर ही गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की सूची जारी की जाए। जिसका अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। राज्य सूचना आयोग के आदेशों में इसका भी हवाला दिया गया है कि जब शिक्षा निदेशालय ने माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में शिक्षा निदेशालय ने हलफनामा देकर बताया है कि हरियाणा में इतने फर्जी स्कूल चल रहे हैं। जिसमें स्कूलों की संख्या का भी उल्लेख हुआ है। इसके साथ यह भी कबूल किया है कि ये गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूल बिना किसी परमिशन और नियम के ही चल रहे हैं तो फिर ऐसे स्कूलों की डिस्पले अपनी वेबसाइट पर करनी चाहिए, जिससे की सार्वजनिक स्तर पर अधिक से अधिक लोगों को इसका फायदा मिलना चाहिए। आयोग ने यह भी कहा है कि शिक्षा निदेशालय ने ऐसा ना करके आरटीआई एक्ट के सेक्शन-4 का उल्लंघन भी किया है।
अगर वेबसाइट पर उपलब्ध होगी फर्जी स्कूलों की जानकारी तो लाखों अभिभावक झांसे में आने से बच जाएंगे:- बृजपाल परमार
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार व महामंत्री भारत भूषण बंसल ने बताया कि अब तक हरियाणा सरकार द्वारा हाईकोर्ट मेंं हलफनामा देकर प्रदेश में 1083 गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूल संचालित होने की बात कही थी, मगर संगठन की तरफ से हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर प्रदेशभर में लगभग चार हजार फर्जी स्कूल चलने की बात कही थी। जिसमें प्ले स्कूल भी शामिल हैं। बृजपाल परमार ने कहा कि राज्य सूचना आयोग का यह फैसला स्वागत योग्य हैं, क्योंकि अधिकांश अभिभावक तो भव्य भवन और निजी स्कूलों की चकाचौंध देखकर ही भ्रमित हो जाते हैं, वह यह जानना भी जरूरी नहीं समझते कि उनसे मोटी फीस व शुल्क वसूलने वाला स्कूल मान्यता प्राप्त है या नहीं। सबसे अहम बात तो अधिकांश फर्जी स्कूल भवन के बाहर सीबीएसई व हरियाणा बोर्ड से सम्बद्धता दर्शाते हैं, जबकि वास्तव में उनके पास इस तरह की कोई मान्यता या फिर स्कूल संचालन की अनुमति तक नहीं होती। अगर वेबसाइट पर इस तरह की जानकारी उपलब्ध होगी तो लाखों अभिभावक ऐसे फर्जी स्कूलों के झांसे में आने से समय रहते ही बच जाएंगे। फर्जी स्कूलों पर कार्रवाई करने में शिक्षा विभाग और सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है। फिलहाल यह मामला माननीय उच्च न्यायालय में भी चल रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *