मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
– दिल्ली हाईकोर्ट ने ठुकराई निजी प्रकाशकों की याचिका, सुनाया फैसला
– 12वीं तक पढ़ानी होंगी एनसीईआरटी की ही किताबें
फरीदाबाद, 30 मार्च: कमीशन खाने के चक्कर में मासूम छात्रों के कंधे पर भारी बस्ते का बोझ डाल रहे प्राइवेट स्कूलों व निजी प्रकाशकों को दिल्ली हाईकोर्ट ने जोर का झटका दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल पब्लिशर्स इन इंडिया बनाम डॉयरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन एंड अन्य नामक याचिका नं.W.P. (C) 13143/2018 तथा CM No. 51010/2018 को खारिज करते हुए स्कूलों में NCERT, SCERT, व  CBSE द्वारा निर्धारित किताबें ही लगाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने टिप्पणी की है कि जब पेपर इन्हीं किताबों से आते हैं तो फिर स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें क्यों लगाई जा रही है? हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इस आदेश का स्वागत करते हुए अभिभावकों से कहा है कि वे हाईकोर्ट के इस आदेश को समझें और स्कूल प्रबंधकों द्वारा जबरदस्ती दी जा रही प्राइवेट प्रकाशकों की मोटी व मंहगी किताबों को न खरीदें। स्कूल प्रबंधक अगर परेशान करते हैं तो वे अभिभावक एकता मंच से संपर्क करें।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने बताया कि छात्रों के मासूम कंधों से भारी बस्ते का बोझ कम करने के उद्वेश्य से दिल्ली सरकार ने 29 नवंबर, 2018 को एक आदेश निकाला था कि सभी स्कूल प्रबंधक अपने स्कूल में एनसीईआरटी व सीबीएसई द्वारा निर्धारित किताबों को ही लगाएं। इस आदेश के खिलाफ प्राइवेट पब्लिशर्स एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करके इस आदेश को रद्द करने की मांग की। अब 27 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए उक्त आदेश दिए हैं।
मंच ने कहा है कि कुछ महीने पहले मानव संसाधन मंत्रालय व हरियाणा सरकार ने एक आदेश निकालकर बस्तों का वजन तय कर दिया था लेकिन स्कूल प्रबंधकों पर इस आदेश का कोई असर नहीं है और वे मनमर्जी कर रहे हैं। इसके अलावा यह भी आदेश दिए गए थे कि नर्सरी से कक्षा दो तक के बच्चों को कोई भी होमवर्क न दिया जाए और उनके बस्ते भी स्कूल में रखवाए जाए। स्कूल प्रबंधक इसका भी उल्लंघन कर रहे हैं।
मंच ने अभिभावकों से कहा है कि वे जागरूक बने और मनमानी कर रहे स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ आवाज उठाएं, मंच पूरी तरह से उनके साथ हैं।

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